अपने ही अपनों से करते है अपनेपन की अभिलाषा, शुक्रिया उन अपनों को जिसने बदल रखी हैं अपनेपन की परिभाषा. किस कदर शुक्रिया अदा करू हमें अल्फाज नहीं मिलते ये दिन स्पेशल नहीं होता अगर आप हमें Wish नहीं करते किस तरह शुक्रिया करे आपको जमीन से उठाके पलको पे सजा दिया इतना प्यार दिया हमें के हमारे बिखरे शब्दों को कविता बना दिया आप सबकी शुभकामना ने बता दिया खास हूँ मैं आप से दूर रहकर भी आपके दिल के पास हूँ मैं प्यार का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू आप भूल भी जाओ तो मे हर पल याद करू प्यार ने बस इतना सिखाया हे मूज़े की खुद से पहले आपके लिए दुआ करू..!! कहा था हमने चाहे जो करना तुम्हारे रहेंगे self respect को छेड़ोगे तब भी प्यार तुमसे ही करेंगे बस साथ न रह पाएंगे तूच माझं चिकन- मटण तूच माझा पापलेट नाही आवडत मला तरी कशाला आणतोस गवार, दुधी आणि कारली ~Nivedita Raj