EVENT NASIK

६ मार्च २०११ हमारी नासिक ट्रीप ६ और ७ मार्च कंपनी के एम्प्लोयी सचिन तारगे कि शादी थी| ४ मार्च तक तो जाये या न जाये यही तय नहीं हो रहा था | पर शिव, विक्रम, देवेंद्र ने पक्का तय कर लिया था के वो ये शादी अटेंड करने जायेंगे| कंपनी के सबसे सीनियर बंदे कि शादी थी तो कंपनी के CEO ने भी जन तय किया| तभी आइडिया निकला के सभी चलते है, एक साथ दो काम हो जायेंगे, सचिन की शादी भी अटेंड कर लेंगे और नासिक में पिकनिक भी हो जाएगी| अब हर कोई तयार तो गया था पर हर कोई परमिशन इश्यु के बारे में बात कर रहा था, क्योंकि वन नाईट स्टे का मामला था | ६ मार्च को सुबह निकलना था और हम लोग कुछ भी तय नहीं कर पा रहे थे| ५ मार्च हम लोग सुबह से यही तय करने लगे थे की कैसे सब मॅनेज होगा, कल सुबह निकलना है| और सबसे पहले मेरे ही घर पे परमिशन इश्यु हो गया था| रूही मॅम ने मेरे पापा से बात करके परमिशन इश्यु तो सोल्व कर दिया| पर स्नेहा  के घर पे प्रॉब्लम अभी थी| मैंने उसकी माँ से बात तो की पर उन्होंने कहा के स्नेहा बीमार है, अगर उसे लगे को वो ठीक है तो साथ जा सकती थी| पर स्नेहा आने को तयार नहीं थी तो हमने फिर उसे प्लान में नहीं शामिल किया| दूसरी तरफ सुनीता की बेटी बीमार थी थो वो भी नहीं आ सकती थी| दोपहर का एक बजने को था और हम लोग कुछ भी तय नहीं कर पा रहे थे ऊपर से गाड़ी और रहने का इंतजाम करने की टेंशन थी| फायनली जो साथ आ ने को तयार थे उनको लेके और जो आने को तयार नहि थे उनको छोड़ के जाने का निर्णय हम ने लिया| मुझे थोडा जल्दी निकलना था तो गाड़ी की व्यवस्था का भर मैंने अजय और शिव पे डाल दिया| शाम को बात हुई तब शिव ने बताया की क्रुजेर गाड़ी तय हुई है , सुबह ९:३० को निकलना है| हम सब लोग सुबह तयार होके आ तो गए पर हमेशा की तरह निकलने में लेट हो गए| करीब १०:३० बाजे हम लोग वाशी से नाशिक के लिये रवाना हुये| ड्राइवर के बाजू वाली सीट पे मै और अजय बैठे थे, बीच वाली सीट पे रूही मॅम, रानी भाभी (शिव की पत्नी) और ममता भाभी (देवेन्द्र की पत्नी) बैठ गये और गाडी के पीछे वाले हिस्सेमे शिव, देवेंद्र, कलीम, विक्रम, सुभाष और हमारा समान रखा था| जैसे हि गाडी ने सिटी छोडी हमारी मस्ती चालू हो गयी| कोई गाने  गा रहा था तो लड़को मे पंजा लडा कर ताकत अजमाना चालू किया तो हमारी रूही मॅम कहा पीछे रहने वाली थी वो भी शामिल हो गयी|

रूही मॅम सुभाष के साथ पंजा लड़ाते हुए 
पंजा लड़ना खत्म होते ही शिव जी की खिचाई चालू हो गयी थी| हम लोग जितना उन्हें तंग कर रहे थे उससे कई ज्यादा तो रानी भाभी उनकी टांग खीच रही थी; वो भी एकदम नॅचुरल एक्सप्रेशन में| ऐसे ही मस्ती करते, बाहर के नज़ारे देखते मस्ती करते करीब २:३० बजे हम नासिक में एंटर किये | भूक तो लगी थी पर आधे से ज्यादा लोग वेज होने के कारन वेज होटल धुंड रहे थे बहोत चेक किया पर वेज होटल नहीं मिला क्योंकि हायवे पे सभी रेस्टोरेन्ट एंड बार थे| अब क्या कारे फिर याही तय हुं के रेस्टोरेन्ट एंड बार के फॅमिली रूम मे बैठ के एन्जोय किया जाय| रेस्टोरेन्ट एंड बार होने की वजह से वहा वेज और नॉन- वेज दोनों टाइप का खाना मिलाता था; बस क्या फिर तो टूट पड़े खाने पे| 

खाना तो हो गया, सचिन के हल्दी की रसम रात को थी तो सोचा के थोडा घुमा जाये | नासिक में देखने के लिए मंदिर ही है तो हम मंदिरों की सैर करने निकले| फालके स्मारक तो बहुत पीछे रह गया था तो हम लोग फिर आगे की तरफ निकले सिटी से ही थोड़ी दूर "पंचवटी" है| पंचवटी - राम -सीता - लक्ष्मण के पवन चरणों ने इस भूमि को पवित्र किया था | यही पे राम जी का वस् था जब वे वनवास में थे| यही से रावण ने सीता का अपहरण किया था| इस परिसर में और भी कई सारे मंदिर है| जिनके दर्शन हमने करलिये| अभी हमारे पास थोडा वक्त था क्योंकि सचिन की हल्दी की रस्म शाम ७ बजे के बाद चालू होनेवाली थी अभी तो बस ५:३० ही हुए थे तो कोई और स्पोट देख लेते है करके, हम सोमेश्वर की तरफ चल पड़े| जगह तो ठीक से मालूम नहीं थी पर पूछते - पूछते  जा रहे थे| थोड़ी दूर जाने के बाद पता चला के हम सोमेश्वर तो पीछे छोड़ आए| अब आगे बढे तो त्रम्बकेश्वर था तो फिर हम ने आगे ही जाने का फैसला किया| रस्ते में शुद्ध हिंदी का दौर चल रहा था हर कोई शुद्ध हिंदी में बात कर रहा हा था | ऐसे करते हम उस पवन जगह पर पहुचे जिनको दर्शन करने थे वो मंदिर चले गए, और बाकी बाहर उनका वेट करने लगे| दर्शन कर के हम लोग सचिन शादी के हॉल के तरफ निकल पड़े क्योंकि शादी की साडी रस्मे वाही होने वाली थी| और रहनेका इंतजाम भी वाही किया गया था| 

शहर में नए होने के कारन ज्यादातर सड़को की जानकारी नहीं थी| सो हम थोडा भटक गए थे पण रस्ते भर में अन्ताक्षरी पुरे जोरो पे थी| कलीम ने तो गानों को जैसे रिवर्क किया हो सारे गानों के शब्द इधर उधर कर देता था और अपना एक अलग ही गाना बनता था| पर बड़ा मज़ा आया | हमे जैसे ही पता चला के रास्ता भटक गए वैसे हमारी अन्ताक्षरी बंद हो गयी और हर कोई रस्ते की तरफ देखने लगा| आखिर ढूंडते हुए हम लोग हॉल पर पहुच ही गए तब तक रात के ९:०० बज चुके थे| हल्दी की सारी रस्मे तो हो गयी थी | बस खाने का प्रोग्राम बाकी था|  सचिन भी हमारे लिए खाने पे वेट कर रहा था| फिर क्या भूख तो लगी थी, दोपहर से जो भटक रहे थे | खाना सामने आया तो हम टूट पड़े| हम ३ या ४ लोगो का खाना खाके हो गया वैसे हमने सचिन को छेड़ना चालू कर दिया| भाभी जी ई हुई थी तो फिर हमे तो जैसे मोका मिल गया हो छेड़ने का | इतनी जलेबी खिलाई दोनों को की दोनों तंग आ गए|


थोड़ी देर में खाना ख़तम हुआ तो नाच गाने का प्रोग्राम सुरु किया! फिर क्या था सब मिलके नाचने लगे! बेस्ट dancer थी हमारी ममता भाभी | जो नाची है देवेन्द्र भी स्पीड मैच नहीं कर पाया | लड़को को में सबसे अच्छा नाच किया था के सारे dancer फेल हो गए थे| रात के ११ बजने को थे तभी sachin के ससुरजी ने कहा के रात हो गयी है १० बजे तक ही गाने बजाने की पर्मिशन है| गाने बंद हुए सब लोग सोने की तय्यारी करने लगे| हमारे रहने की व्यवस्था बाजुवाले लॉन में जो रेस्ट हाउस था उसमे की गयी थी | वहा तक हमें प्रियंका (सचिन की wife) उनके चाचा जी छोडने आये येथे उनके पीछे सचिन भी आया हमारा रहनेका इन्तेजाम देखने आ गया साथ में| हम ने उसे हमारे साथ रुकने के लिए कहा पर वह तो दूल्हा था और उसका फॅमिली के साथ रहना जरुरी था| हमसे मिलकर सचिन चला गया चाचाजी भी सब इन्तेजाम देखकर निकल दिए| अब हम सब कार्टून ही बचे थे |
हमारे लिए २ रूम अरेंज किये थे एक ladies के और दूसरा boys के लिए पर मस्ती करनी थी तो हम सबने एक ही रूम में रूकना तय किया  बस फिर क्या हंगामा कर दिया रूम में अजय साथ में पत्ते लेकर आया था तो और भी मजा आ गया | हमारी रूही मॅम  तो हमेशा जल्दी सो जाती है पर उन्हें भी हम लोगो ने सोने नहीं दिया | देड बजे तक हम लोग bluff मास्टर खेल रहे थे| कुछ देड बजे के बाद हम लोगो ने सोने की तय्यारी की देव ने दूसरी रूम में जितने भी बेड़ थे वो सब लेकर आ गया था | हम लोग लाइन से सो तो गए पर सबको तकिया चाहिए था तो हम लोगो ने दो गद्दे फोल्ड करके सर के निचे ले लिए और काम बन गया |









नेक्स्ट डे सुबह रूही मॅम के ५:३० के अलार्म से नींद खुल गयी फिर क्या सब को उठाने का कम चालू कर दिया हर एक को तंग कर कर के उठाया| अभी भी कई जगह बाकि थी तो सोचा के सचिन की शादी दुपहर १२:३० की है तब तक थोडा घूम के आ सकते है| फिर गंगापुर डॅम जाने की सोची| boys ने तय किया के हम लोग नहा के तैयार होके चलेंगे ! यहाँ ladies के अलग ही चर्चे चल रहे थे क्योंकि शादी के लिए फिर अलग से कपडे पहनने लगेंगे तो आने की बाद ही नहाते है | फिर क्या जैसे ही boys नहा - धोके तय्यार हो गए हम लोगने ड्राईवर को गंगापुर डॅम जाने के लिए गाड़ी निकलने को कहा| हम लोग सचिन के शादी वाले हॉल पे चले गए वहा सचिन नहीं था पर उसके ससुर और चाचा ससुर जी थे तो उनसे मिलके हम लोग गंगापुर डॅम पे निकल गए| वह जाने का बाद पता चला के डॅम पे थोडा काम चालू है तो  डॅम पे जाने नहीं मिलेगा और वो लोग न ही हमे एरिया घुमाने का पर्मिशन दे रहे थे| अजय ने जुगाड़ लगा के हमे पर्मिशन दिला दी फिर थोडा घुमे और हम लोग निकल दिए क्योंकि शादी भी अटेंड करनी थी सुबह के १० बज रहे थे भूख भी लगी थी तो हम लोगो ने फिर ब्रेकफास्ट करने के लिए गाड़ी रोक दी| एक जगह पे वड़ापाव और समोसे खाए और हम लोग सचिन के शादीवाले हॉल पे पहुच गए| लडके तो सब तैयार थे सिर्फ हम लडकियोंकी तयारी बाकि थी तो हम लोग रूम पे चल दिए वहा पे नहा - डोके सचिन के शादी के लिए तैयार हो रहे थे | अब इतना सजने के बाद हम बैग थोड़ी उठाएंगे इसीलिए हम लोगो ने boys को ऊपर बुला दिया| और बैग को गाड़ी में रखने को बोल दिया | उन बेचारोने भी हमारा कहा मानकर काम कर दिया| हम सब लोग शादी के हॉल पे पहुचे तो सचिन की बारात निकली थी फिर क्या विक्रम फिर से नाचने लगा बहुत ही जोर से नाच गाना हो रहा था | तभी सुनीता और स्नेहा  आ गयी शादी अटेंड करने के लिए|बस फिर क्या हमारी पुरी आयनॉजीक  पुरी हो गयी |
सचिन और प्रियंका की जयमाला सेरेमनी
सचिन और प्रियंका हॉल में आते हुए 














सचिन की शादी हसते हसते हो गयी| हमारी फॅमिली में एक सदस्य और बढ़ गया| सचिन को स्टेज पे जाके बधाई देदी और छेड भी दिया| अब दोपहर के २ बजने को थे हम लोगो ने शादी में खाना खाया| हब हमें निकलना था मन तो कर रहा था के पूरा फंक्षन देखने का मन था पण यहाँ पे शादी की वजह से हम ने सोमवार के दिन भी ऑफिस बंद रखा था| तो आधे मन से हम लोग सचिन को मिलके मुंबई की और चल पड़े| रस्ते में वाही अन्ताक्षरी खेलते हम मुंबई पहुच गए|
ऐसा था हमारा इवेंट नासिक 

~●๋•ηινє∂ιтα ραтιℓ ●๋• 
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