तेरी आँखों के आईने में ऐसे उतरु
के बस तू मुझमे और मैं तुझमें समां जाऊ
तेरी बाँहों में ऐसे सिमटु
के मोम और पत्थर साथ में पिघल जाए
तेरी मेरी किस्मत साथ नहीं पर
इतनी दुआ है इन आँसुओ में इश्क़ बह न जाए
शब्द जुळवता जुळवता
कवीता सुचू लागली
त्याच्या आठवणीत
माझी कविता फुलू लागली
कशी उतरवू प्रेमकथा त्याची
ती तर डोळ्यावाटे वाहू लागली
साथ जरी संपली त्याची
मनी हुरहूर दाटू लागली
अक्षर हि न लिहिता
वही माझी भरू लागली